शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

chitra varnanam in sanskrit




चित्र वर्णनं
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भाषा अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन है | भाषा की अभिव्यक्ति बोलकर अथवा लिखकर की 

जाती है | चित्र वर्णन लेखन अभिव्यक्ति कौशल सिखाने हेतु अच्छा प्रयास है |


परीक्षा में चित्र वर्णनं को शामिल करने का उद्देश्य छात्रों को संस्कृत भाषा में लिखकर तथा 

बाद में बोलकर अपने भावों व्यक्त करने की क्षमता का विकास करना है|


संस्कृत में चित्र वर्णन करते समय निम्नलिखित बातो का ध्यान रखें-

१- वाक्य रचना लट लकार में ही करें |
 
२- वाक्य रचना प्रथम पुरुष में ही करें |


३- यथासंभव छोटे वाक्य बनाएँ |


४- कर्ता और क्रिया का पुरुष तथा वचन समान होने चाहिए|


वाक्य लेखन का प्रारूप -

१- एतत् चित्रं ------------------------अस्ति |


(जिस का चित्र हो उसे षष्टी एक वचन में लिखें | )

जैसे- एतत् चित्रं ------------ विद्यालयस्य ------------अस्ति |


२- चित्रे -----------------------अस्ति /स्तः /सन्ति |

(चित्र में जो-जो चीजें दिख रही हैं, उसके बारे में लिखें| कर्ता के वचन व क्रिया के वचनों में समानता का ध्यान रखें | )



जैसे- चित्रे ------------अनेके अध्यापकाः----------- सन्ति |


३- दो ऐसे वाक्य लिखें, जिसमें किसीके के द्वारा कुछ किया जा रहा हो|         

   कर्ता + क्रिया

जैसे- एकः अध्यापकः पठयति |

     एकः छात्रः प्रश्नं पृच्छति |



४- अंत में समापन वाक्य होने चाहिए|

जैसे- --------- विद्यालयस्य ---------------दृश्यं सुन्दरम् अस्ति |



(पहले वाले वाक्य में जिसका चित्र बताया गया हो, वहीं यहाँ लिख दें |

अथवा

विद्यालयः शिक्षार्थाय भवति |




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